क्या है गुप्त नवरात्रि

क्या है गुप्त नवरात्रि

गुप्त नवरात्रि पर विस्तृत विवरण (हिंदी में):

क्या है गुप्त नवरात्रि
गुप्त नवरात्रि हिन्दू धर्म में एक विशेष प्रकार की नवरात्रि होती है जो वर्ष में दो बार मनाई जाती है – एक माघ मास में और दूसरी आषाढ़ मास में। इसे ‘गुप्त’ इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह सार्वजनिक रूप से नहीं मनाई जाती, बल्कि साधना और तंत्र के दृष्टिकोण से विशेष होती है। यह साधकों और तांत्रिकों के लिए अत्यंत फलदायक मानी जाती है।

गुप्त नवरात्रि का महत्व:
गुप्त नवरात्रि में देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है, लेकिन इसका उद्देश्य सामान्य पूजा से अलग होता है। यह विशेष रूप से तांत्रिक साधना, गुप्त सिद्धियाँ, मनोकामना पूर्ति, और रहस्यमयी शक्तियों की प्राप्ति के लिए की जाती है।

इस समय देवी को प्रसन्न करने के लिए विशेष मंत्र, यंत्र, और तांत्रिक विधियों का प्रयोग किया जाता है। इस नवरात्रि में शांति से साधना करना अधिक महत्वपूर्ण होता है बजाय किसी बड़े आयोजन के।

गुप्त नवरात्रि का महत्व

गुप्त नवरात्रि में पूजा विधि:

  1. प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. घर के शांत स्थान में देवी दुर्गा की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
  3. देवी के नौ रूपों की पूजा करें – विशेषकर काली, तारा, त्रिपुर सुन्दरी, भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमला।
  4. तांत्रिक मंत्रों और दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
  5. हवन, दीपदान, और ब्राह्मण भोजन भी लाभदायक माना जाता है।
गुप्त नवरात्रि में पूजा विधि

गुप्त नवरात्रि का उद्देश्य:

  • मानसिक शांति और आत्मिक उन्नति
  • बाधा निवारण और शत्रु विनाश
  • व्यवसाय या जीवन में सफलता
  • तांत्रिक और आध्यात्मिक सिद्धियों की प्राप्ति

निष्कर्ष:
गुप्त नवरात्रि एक अद्भुत अवसर होता है साधकों के लिए अपनी साधना को गहराई से करने का। यह पर्व भक्ति, श्रद्धा और आत्मिक जागृति का मार्ग प्रशस्त करता है। यदि सही विधि और भावना से यह साधना की जाए तो जीवन में सकारात्मक परिवर्तन निश्चित होते हैं।

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 2025 के तिथि (हिन्दी में)

दिननवरात्रि तिथितिथि आरंभ और समापन
1प्रतिपदा25 जून 2025 को शाम 4:00 बजे से शुरू → 26 जून को दोपहर 1:24 बजे समाप्त
2द्वितीया26 जून (प्रातः) से 27 जून तक
3तृतीया27–28 जून तक
4चतुर्थी28–29 जून तक
5पंचमी29–30 जून तक
6षष्ठी30 जून – 1 जुलाई तक
7सप्तमी1–2 जुलाई तक
8अष्टमी2–3 जुलाई तक
9नवमी3–4 जुलाई तक (4 जुलाई को समाप्त)
  • प्रारंभ: 26 जून 2025 (गुरुवार)
  • समापन: 4 जुलाई 2025 (शुक्रवार)

घटस्थापना मुहूर्त:

  • 25 जून शाम (मेघ राशि) की प्रतिपदा से प्रारंभ, लेकिन उदयतिथि के अनुसार शुरू होती है – यानी 26 जून प्रातः
  • कलश स्थापना अच्छा समय: प्रातः 5:24–6:58 बजे (मिथुन लग्न में)
  • अभिजीत मुहूर्त: लगभग 10:58–12:51 बजे तक

🌑 गुप्त नवरात्रि की विशेष साधना:

गुप्त नवरात्रि में साधक एकांत स्थान में या किसी शांत पवित्र स्थान पर बैठकर तांत्रिक विधि से देवी की पूजा करते हैं। प्रत्येक दिन एक महाविद्या की साधना की जाती है।

मुख्य साधना के लिए आवश्यक वस्तुएँ:

  • लाल वस्त्र
  • पंचमेवा
  • गुग्गुल धूप
  • लाल फूल
  • त्रिशक्ति यंत्र (या महाविद्या विशेष यंत्र)
  • सिद्ध कुशासन

🔱 दस महाविद्याओं के मंत्र (संक्षेप में):

  1. काली माता का मंत्र:
    ॐ क्रीं कालिकायै नमः
  2. तारा देवी का मंत्र:
    ॐ ह्रीं स्त्रीं ह्रीं हुं फट्
  3. त्रिपुर सुन्दरी (श्री विद्या) का मंत्र:
    ॐ ऐं क्लीं सौः
  4. भुवनेश्वरी का मंत्र:
    ॐ ह्रीं भुवनेश्वर्यै नमः
  5. छिन्नमस्ता का मंत्र:
    ॐ छिन्नमस्तिकायै नमः
  6. त्रिपुर भैरवी का मंत्र:
    ॐ भैरव्यै नमः
  7. धूमावती का मंत्र:
    ॐ धूं धूं धूमावत्यै स्वाहा
  8. बगलामुखी का मंत्र:
    ॐ ह्लीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिव्हां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्लीं ॐ स्वाहा
  9. मातंगी का मंत्र:
    ॐ ह्रीं ऐं मातंग्यै नमः
  10. कमला देवी का मंत्र:
    ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं कमलवासिन्यै स्वाहा

    📿 साधना विधि का संक्षिप्त क्रम:

    1. प्रातः स्नान कर स्वच्छ लाल वस्त्र पहनें।
    2. देवी की तस्वीर या यंत्र के सामने दीपक जलाएँ।
    3. मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें।
    4. अंत में देवी की आरती करें और अपनी मनोकामना प्रकट करें।

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